विष्णु खरे पर पाठक मंच छिंदवाड़ा की समीक्षा गोष्ठी आयोजित

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा संचालित पाठक मंच छिंदवाड़ा एवं हिंदी प्रचार समिति छिंदवाड़ा के संयुक्त तत्वावधान में विष्णु खरे के कविता संग्रह से सेतु समग्र - कविता पर समीक्षा गोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम के अध्यक्ष कथाकार गोवर्धन यादव ने कहा कि विष्णु खरे अतीत में जाकर विषयों को उठाते हैं। उनकी कविता अतिरंजना से मुक्त और अनेक बार पढ़ने की मांग पढ़ने की मांग करती है। संचालन करते हुए मंच संयोजक दिनेश भट्ट ने ने कहा कि ये कविताएं अद्वितीय हैं। जिनमें निरी भावुकता नहीं बल्कि एक विशेष प्रकार का बौद्धिक कौतूहल है। मुख्य अतिथि डॉक्टर अमर सिंह ने कहा विष्णु खरे मूर्ति भंजक थे और वे सच को सच कहने में दीवानगी की हद तक चले जाते थे। मुख्य समीक्षा डॉ. टीकमणी पटवारी, डॉ. लक्ष्मीकांत चंदेला, डॉ. मनीषा जैन ने प्रस्तुत किया। संग्रह की कुछ कविताओं का पाठ रोहित रूसिया , शेफाली शर्मा तथा संजय पाठक ने किया। अपने आलेख में तीन टीकमणी पटवारी ने कहा कि कविता संग्रह स एक ऐसा समंदर है जिसको पढ़ना गहराई में जाना जाना है। विष्णु खरे समय की तिक्क्ता बीच मनुष्य को सुरक्षति रखने का भाव अपनी कविता में लाते हैं । लक्ष्मीकांत चंदेला ने कहा इन कविताओं में भाषा और भावों का अनुशासन है। ये कविताएं व्यक्ति की समग्र मानसिकता की पड़ताल करती है। डॉ. मनीषा जैन ने कहा विष्णु खरे सार्वभौमिक कवि है। उनकी कविताएं अनुसंधान जैसी लगती हैं। रणजीत सिंह परिहार ने उनकी मां के लिए लिखी कविता 1946 की रात का पाठ किया और कहा कि उनकी कविताओं में आंतरिक लय और सुघड़ता है। हेमेंद्र कुमार राय ने कहा कि बेहतर जीवन जीने के लिए जद्दोजहद, जीवन ,मृत्यु ,प्रकृति तथा विश्व का रहस्य आदि प्रश्नों को उठाती हुई विष्णु खरे की कविता पाठकों को अंतर्मुखी बनाती है। संजय पाठक ने लालटेन, मिट्टी , वृंदावन की विधवाएं जैसी महत्वपूर्ण कविताओं पर चर्चा की। इस अवसर पर ओमप्रकाश नयन मुकेश उपाध्याय हेमंत ब्रह्मभट्ट, संगीता श्रीवास्तव, सीएल चौरसिया, नितिन जैन, महेश सोनी, कमलेश साहू, नीलेश डेहरिया, विशाल सराठे, नीरज नामदेव, अभिषेक रघुवंशी, हरिओम माहोरे, स्वनलि राजपूत, विशाल साहू उपस्थित थे।