केरल की युद्ध कला ‘यष्टि’ का प्रदर्शन, 30 हजार से ज्यादा स्वयंसेवकों को सिखाएंगे

रतलाम / राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने रविवार को केरल की युद्ध कला यष्टि का प्रदर्शन किया। जिले की 182 शाखाओं के 30 हजार से ज्यादा स्वयंसेवकों को यह कला सिखाई जाएगी। संघ ने इस साल जनवरी में ही इसे संघ में शामिल किया है। इसमें 2 फीट के दंड (लाठी) से प्रहार व बचाव किया जाता है। स्वयंसेवकों ने इसकी 20 से ज्यादा टेक्निक का प्रदर्शन किया। रविवार शाम 4.10 बजे शुरू हुए जिलास्तरीय गुणवत्ता संचलन में स्वयंसेवक ढाई किमी की दूरी तय कर शाम 5 बजे वापस यहां पहुंचे। संघ के जिला प्रचार प्रमुख विवेक जायसवाल ने बताया कि संचलन के लिए जिलेभर में बेहतर तरीके से कदम से कदम मिलाकर चलने वाले स्वयंसेवकों का चयन कर 15 दिन तक प्रशिक्षण दिया गया।
शेविंग का सामान जुटाया- कुछ स्वयंसेवक शेविंग बनाकर नहीं आए तो उनके लिए मैदान में शेविंग के सामान की व्यवस्था की गई। यहां स्वयंसेवकों ने गाड़ियों के कांच में देखकर शेविंग बनाई।


मुंबई से ट्रेनिंग लेकर आए जिला शारीरिक प्रमुख पाटीदार, 50 स्वयंसेवक तैयार किए


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने यष्टि युद्ध कला की ट्रेनिंग देने के लिए इस साल जनवरी में मुंबई में शिविर लगाया। जिले के शारीरिक प्रमुख विकास पाटीदार ने वहां से यह कला सीखकर जिले में 50 स्वयंसेवकों को इसकी ट्रेनिंग दी। पाटीदार बताते हैं यह केरल की कलरी युद्ध कला का एक भाग है। इसे अगस्त ऋषि ने शुरू किया था। जिले की सभी शाखाओं में यह सिखाई जाएगी। इसमें यष्टि (डंडा) छुड़वाना, कान, कंठ और कांख में मारने सहित 20 टेक्निक है। यह महज 2 फीट का डंडा होने से इसे साथ में रखने में आसानी होती है और यह आसानी से कहीं भी मिल जाता है।