दतिया। शहर के गांधीरोड स्थित ठा. श्रीराधाबल्लभ मंदिर में सात दिनों तक चलने वाला होली महोत्सव गुरुवार की देर शाम से शुरू हो गया है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी ठाकु र जी अपनी मूल जगह से हटकर आंगन में विराजमान हो गए है। वहीं मंदिर पुजारी की ओर से गुलाल उड़ाकर इस महोत्सव को शुरू कि या गया है। वहीं देर शाम मंदिर में महिलाओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो गई है। उधर, होली के पड़वा और दौज पर इसका विशेष महत्व माना गया है। बताते है कि इस दिन ठाकु र जी स्वयं मंदिर में आकर श्रद्धालुओं के साथ होली खेलते हैं।
सात दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव की शुरुआत मंदिर पुजारी राधाबल्लभ नागार्च की ओर से गुलाल उड़ाकर कर दी गई है। वहीं दूसरे दिन शुक्रवार को ठाकु र जी को अपनी मूल जगह से हटाकर उन्हें आंगन में विराजमान कि या गया है। भक्तों की ओर से उन्हें गुलाल लगाया गया। होली तक मंदिर में यही प्रकि या चलेगी। इसमें सुबह और शाम ठाकु र जी को आंगन में रखकर उनके साथ होली पर्व मनाया जाएगा। इसके साथ ही महिलाओं की ओर से मंदिर में भजन कीर्तन का भी आयोजन कि या। यहां की मान्यता है, कि जिस प्रकार वृंदावन में होली खेली जाती है। ठीक उसी प्रकार मंदिर में भी होली उत्सव मनाया जाता है।
पड़वा-दौज पर होगा समापन
श्री राधा बल्लभ मंदिर में चलने वाले इस सात दिवसीय महोत्सव में पड़वा और दौज पर इसका विशेष महत्व होता है। बताते है कि पड़वा और दौज के दिन ठाकु र और राधा की प्रतिमा पर गुलाल चढ़ा हुआ मिलता है और यह पिछले 88 वर्षों से हो रहा है। मंदिर पुजारी राधावल्लभ नगार्च ने बताया कि पड़वा के दिन भक्तों की अधिक भीड़ यहां पर रहती है और दौज के दिन ठाकु र जी को झूले पर झूलाकर इस कार्यक्रम का समापन कि या जाता है और ठाकु र जी अपने मूल स्थान पर चले जाते हैं।
दतिया को कहा गया है मिनी वृन्दावन
जिस प्रकार होली वृन्दावन में खेली जाती है। ठीक उसी प्रकार होली दतिया के गोविन्द जी और ठा. राधाबल्लभ मंदिर में खेली जाती है जिस कारण इसे मिनी वृन्दावन कहा जाता है। वहीं इसके पीछे दूसरा करण यह भी है कि वृन्दावन में जिस प्रकार के मंदिर ठाकु र जी के बने हुए है ठीक उसी प्रकार छोटी-छोटी गलियों सहित शहर के मुख्य जगहों पर ठाकु र जी के करीब 200 मंदिर बने हुए है इस कारण भी दतिया को मिनी वृन्दावन के नाम से जाना जाता है।