मंडी में सोयाबीन, चना, सरसों समेत सभी जिंस की आवक 60 से 75 फीसदी घटी

जावरा / कोरोना वायरस से आई विश्वव्यापी मंदी का असर कृषि मंडियों पर भी हाे रहा है। आयात-निर्यात ठप होने तथा लेवाल नहीं मिलने से एक महीने के में सभी कृषि उपज के भाव औंधे मुंह गिर गए। किसानों ने माल रोक लिया है। वही किसान उपज लेकर मंडी पहुंच रहा है, जिसका हाथ ज्यादा तंग है। गेहूं और लहसुन को छोड़कर बाकी उपज की आवक 60 से 75 फीसदी तक घट गई है। सबसे ज्यादा असर सोयाबीन पर है। 700 से 800 रुपए प्रति क्विंटल की मंदी के कारण महीनेभर पहले तक जो सोयाबीन 2 हजार बोरी थी। आवक अब 200 बोरी रह गई है। मंडी का टैक्स रेवेन्यू एकदम कम हो गया है। सामान्य दिनों में मंडी को 10 लाख रुपए प्रतिदिन का टैक्स मिलता है सप्ताहभर से ये 3 से 5 लाख के बीच रह गया है। शुक्रवार को भी केवल गेहूं और लहसुन की आवक ठीक रही। बाकी सारी उपज एक हजार का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई। गेहूं की आवक जरूर बंपर उत्पादन के कारण 13 से 14 हजार बोरी रोज हो रही है तथा लहसुन की आवक 8 से 10 हजार कट्टे हैं लेकिन इसमें से नीलाम केवल 5 हजार कट्टे ही हो रहे हैं। बाकी सारी जिंस मंडी प्रांगण से गायब सी हो गई है। रबी सीजन की आवक शुरू होने के बावजूद चना, मैथी, रायड़ा जैसी सीजनल उपज की आवक 200 से 700 बोरी के बीच रुकी हुई है। मंडी व्यापारी संगठन अध्यक्ष पवन पाटनी ने बताया कोरोना वायरस के कारण विश्व व्यापी मंदी है और इसी का असर यहां भी पड़ रहा है। सभी उपज पर भाव गिरे हैं। लेवाल नहीं होने से यह स्थिति बनी है । जिन लोगों ने महीनेभर पहले उपज लेकर स्टॉक कर ली थी, वे तो घाटे में चल रहे हैं और भाव बढ़ने के इंतजार में बैठे हैं। जब तक कोरोना का असर कम नहीं होता, व्यापार सुधरने की उम्मीद कम लग रही है। किसान ही नहीं व्यापारी वर्ग भी मंदी के कारण खासा परेशान हैं। 


मंदी का असर है। इससे सभी उपज के भाव कम हुए और आवक प्रभावित हुई। हालांकि होली-रंगपंचमी त्योहार के कारण भी आवक में कमी है। त्योहार बाद आवक बढ़ने की उम्मीद है। 20 मार्च से प्याज जावरा मंडी में शिफ्ट करेंगे।


संजीव श्रीवास्तव, सचिव कृषि उपज मंडी जावरा