पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कंडों की होली जलाना बेहतर

छतरपुर।  समाजिक सरोकार से जुड़कर आओ जलाएं कंडों की होली का जो अभियान शुरू किया है, उसे आमजन सहित कई सामाजिक संगठनों की ओर से भरपूर समर्थन मिलने लगा है। चित्रगुप्त समाज द्वारा इस मुहिम को सकारात्मक बताया गया है वहीं सोनी समाज भी स्वजातीय बंधुओं को इस बारे में जागरूक करके कंडों की होली जलाने का संकल्प व्यक्त कर रहा है।


इस अभियान से लोग निरंतर जुड़ रहे हैं। होली में पेड़ों को काटकर जलाने की बजाय कंडों से होलिका दहन करके वृक्ष व पर्यावरण बचाने की एक सकारात्मक सोच बन रही है। जो संकेत दे रही है कि नईदुनिया का यह प्रयास लोगों ने स्वीकार कर लिया है। इस बारे में जागरूक लोग गौ-शालाओं और गांवों में कंडे बनाकर बेचने वालों को होलिका दहन के लिए कंडों का आर्डर दे रहे हैं। एक आकलन के अनुसार इस बार छतरपुर शहर में करीब 20 क्विंटल से अधिक कंडों की होली जलाई जाएगी। सोनी समाज के जागरूक लोग समाज में इस बात का संदेश दे रहे हैं कि वृक्षों को बचाकर पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कंडो की होली जलाना बेहतर है।


 

इनका कहना है


गौबर से बने कंडे जलाने से पर्यावरण में कई हानिकारक बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं और वायु शुद्ध होती है। कंडों का उपयोग होने से बड़ी संख्या में पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है। कंडों से होलिका दहन करने के लिए मैं होलिका दहन समितियों व मोहल्लों की टोलियों को प्रेरित कर रहा हूं। आओ जलाएं कंडों की होली मुहिम सामाजिक सरोकार से जुड़ी एक सार्थक मुहिम है।


 

चैतन्य सोनी


अध्यक्ष, स्वर्णकार समाज छतरपुर


भारतीय संस्कृति के मुताबिक वृक्षों को पूजा जाता है। हमारी सांसें पेड़ों पर ही निर्भर हैं। यदि पेड़ ही नहीं होंगे तो हमें प्राण वायु कहां से मिलेगी। हिंदू धर्म में वृक्ष काटने से बड़ा कोई दूसरा पाप नहीं है। कंडों की होली जलाकर हम वृक्षों को कटने से बचा सकते हैं। ये पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हमारा अपरोक्ष सहयोग हो सकता है। इस संबंध में हम सभी को जागरूक होना होगा।


राधेश्याम सोनी


समाजसेवी, छतरपुर


धार्मिक व वैज्ञानिक दोनों तरीकों से कंडों से होलिका दहन सर्वोत्तम है। कंडों की होली जलाने से काफी हद तक हरियाली और पर्यावरण को बचाया जा सकता है। आओ जलाएं कंडों की होली के अभियान से हजारों की संख्या में पेड़ कटने और जलने से बच जाएंगे। कंडों का धुआं वातावरण को शुद्ध करेगा, जिससे हम सभी पर्यावरण को बचाने में सहयोगी बन सकेंगे।


बबलू सोनी


व्यवसाई, छतरपुर


पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से जंगल और लकड़ी को बचाना जरूरी हो गया है। ऐसे समय में हम सभी को अपने अपने स्तर पर कंडों की होली जलाने की सोच विकसित करने में अपना योगदान देना होगा। कंडे के धुएं से कई तरह के हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाने से बीमारियों से बचाव हो सकता है। हम चाहते हैं कि महिलाएं, पुरुष और बच्चे कंडों से होलिका दहन


गृहणी, छतरपुर


सदियों से होली जलाने की परंपरा बराबर चली आ रही है। होली में हर साल कई टन लकड़ी जलाकर जंगल खत्म करना जीवन को खत्म करने जैसा है। इस दिशा में सोच को विकसित करने के लिए आओ जलाएं कंडों की होली अभियान बेहद सार्थक अभियान बन गया है। सोनी समाज में इस अभियान को कार्यरूप में परिणित किया जाएगा।