आदिवासी विक्रेताओं के नाम बनाया जा रहा अवार्ड

छतरपुर। भूमि अधिग्रहण व मुआवजा वितरण में असंतोष का दूसरा मामला राजनगर क्षेत्र अंतर्गत पिपरिया में सामने आया है। जहां जलाशय निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहीत की गई है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2001 में आदिवासियों से यादव परिवारों ने जमीन खरीदी थी। इस जमीन में से 3.17 एकड़ जमीन पिपरिया डैम के लिए अधिग्रहीत की गई है। जिन्होंने जमीन खरीदी उन्हें मुआवजा नहीं मिल रहा, बल्कि जमीन बेचने वाले आदिवासियों के नाम से मुआवजा दिया जा रहा है। इसी बात पर असंतोष को लेकर पिपरिया निवासी जीवनलाल यादव, खूबलाल यादव अपने तीन अन्य भाइयों के साथ बीते रोज छतरपुर में जनसुनवाई में आए थे। उन्होंने बताया कि 5 दिसंबर 2001 को कविंद्र सिंह गौड़ व हरिंद्र सिंह गौड़ से खसरा नं. 651, 652, 657 रकवा 3.17 एकड़ जमीन खरीदी थी। चूंकि जमीन आदिवासियों के ही नाम रही। किन्हीं कारणों से विक्रय पत्र निष्पादित नहीं कराया गया। जब यह जमीन बांध के लिए अधिग्रहीत हो गई है, जिसका मुआवजा विक्रेतागणों के नाम से ही जारी हो रहा है, इसे रोका जाना चाहिए। यादव परिवार का कहना है कि दरअसल जमीन तो पहले ही पैसे देकर खरीदी जा चुकी है। उस पर विक्रेताओं को कोई अधिकार नहीं है। ऐसे में खरीदारों को उनके नाम से मुआवजा दिलाया जाए।